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November 19, 2025

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हल्द्वानी- बनभूलपुरा से निकला ऐतिहासिक कैंडल मार्च, उम्मीद की शमा हाथ मे लिए…

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हल्द्वानी : रेलवे की भूमि पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही के विरोध में आज गुरुवार की शाम बनभूलपुरा की सड़कों पर जन सैलाब उतर आया। जहां लोगों ने कैंडिल मार्च
निकाल कर यहां होने वाली ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को गलत बताया। लोगो ने कहा कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। वहीं इस विशाल कैंडिल मार्च को कांग्रेस
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक खटीमा भुवन कापड़ी, विधायक जसपुर आदेश सिंह चौहान, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश समर्थन
देने पहुंच गए। उन्होंने एक स्वर में कहा कि किसी भी कीमत में यहां की जनता के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।लोगों को हटाने से पहले उन्हें बसान की व्यवस्था
की जानी चाहिए।

कैंडिल मार्च में बड़ी संख्या में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की भागीदारी देखने को मिली। शाम पांच बजे हजारों लोग लाइन नंबर 17 चोरगलिया रोड स्थित मुजाहिद चौक पर एकत्रित हुए और उन्होंने वहां से ताज चौराहे तक कैंडिल मार्च निकाला गया। मुजाहिद चौक से शुरू हुआ कैंडिल
मार्च लाइन नंबर 1 स्थित ताज चौराहे पर पहुंचा।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि लोगों को किस भी सूरत में उजड़ने नहीं दिया जाएगा। सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है और कांग्रेस उनकी आवाज बनकर उभरेगी। विधयक सुमित हृदयेश ने कहा कि कई दशकों से यहां पर बसे लोगों को उजाड़े जाने से पहले उनके पुनर्वास
की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। जिस तरह से आनन फानन में कार्यवाही की जा रही है वह यहां की जनता के साथ घोर अन्याय है। उन्हें किसी भी सूरत में उजड़ने नहीं दिया जाएगा। यहां की जनता के साथ हो रहे अन्याय का बदला जरूर लिया जाएगा। वहीं अब्दुल मतीन सिद्दीकी और शुएब अहमद ने भी कहा कि जब उनके पुरखे यहीं पर रहते आए हैं तो यह जमीन रेलवे की कैसे हो गई। उन्होंने न्याय व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट
पर भरोसा है और आशा है कि फैसला उनके पक्ष में आए। इस दौरान लोग उन्हें बेघर करने की मांग करते रहे। उनका कहना था कि आखिर उन्हें किस बात की सजा
दी जा रही है। अगर उन्हें से यहां से हटा दिया गया तो उनकी सुध् कौन लेगा। सरकार को भी लोगों को हटाने से पहले उन्हें विस्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए था। लोगों ने सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। कहा कि सरकार को यहां के दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है। अब तक सरकार ने इस
प्रकरण को लेकर कुछ भी नहीं बोला है जिससे साफ जाहिर है कि सरकार उनके साथ भेदभाव की नीति अपना रही है।

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