समाजसेवी महेश जोशी के शव को लालकुआं कोतवाली मे रखकर ग्रामीणों ने किया धरना प्रदर्शन,

मनोज कांडपाल
स्थान:-लालकुआं
हल्दुचौड़ के प्रॉपर्टी डीलर और समाजसेवी महेश जोशी की संदिग्ध हालातों में हुई आत्महत्या ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। सोमवार शाम उनका शव जब परिजन लेकर लालकुआं कोतवाली पहुंचे तो वहां गुस्से और ग़म की दोहरी लहर दौड़ गई।

जेब से मिले सुसाइड नोट में पटवारी का नाम सामने आते ही ग्रामीण आक्रोशित हो उठे और शव को कोतवाली गेट पर रखकर तीन घंटे तक नारेबाजी और धरना दिया। लोग कह रहे थे – “जब इंसाफ की आवाज तहसील में दबा दी जाती है तो फिर आम आदमी जिए कैसे?”
पापा हमें क्यों छोड़ गए” – बच्चों की सिसकियां

मृतक महेश जोशी अपने पीछे दो पुत्र और दो पुत्रियां छोड़ गए हैं। कोतवाली के बाहर माहौल तब और मार्मिक हो गया जब मासूम बच्चों ने रो-रोकर कहा –
“पापा हमें क्यों छोड़ गए, हमारा क्या कसूर था?”
परिजन बेसुध होकर रोते रहे और ग्रामीण उन्हें ढांढस बंधाते रहे।
परिवारजन का कहना है कि महेश हमेशा समाजसेवा और लोगों की मदद में आगे रहते थे, लेकिन राजस्व विभाग की मनमानी और दबाव ने उनकी जिंदगी छीन ली।

प्रशासन को दिखानी पड़ी लाइव पूछताछ
गुस्साए ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि जब तक पटवारी की गिरफ्तारी नहीं होगी, वे शव नहीं ले जाएंगे। अंततः पुलिस ने पटवारी पूजा रानी पर मुकदमा दर्ज कर उसे हिरासत में लिया और रामनगर कोतवाली से वीडियो कॉलिंग पर चल रही पूछताछ ग्रामीणों को दिखाई। तभी जाकर हालात काबू में आए।
सिस्टम की सुस्ती पर जनता का गुस्सा

ग्रामीणों ने कहा कि आरोपी पटवारी के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें की गई थीं, मगर अधिकारियों ने फाइलों में दबाकर मामला रफा-दफा कर दिया। यही लापरवाही आज एक परिवार की जिंदगी लील गई।
मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी, एसडीएम रेखा कोहली, तहसीलदार मनीषा बिष्ट, सीओ दीपशिखा अग्रवाल समेत प्रशासनिक अफसरों को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
विधायक का बयान – जवाबदेही तय हो
विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने कहा –
“आरोपी पटवारी पर पहले भी शिकायतें आ चुकी थीं। मैंने तहसील दिवस में वेतन रोकने तक की कार्रवाई के आदेश दिए थे। अब यह मौत बताती है कि सिस्टम की सुस्ती लोगों की जान ले रही है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
“सरकार जवाब दे” – ग्रामीणों की आवाज
धरना-प्रदर्शन में मौजूद ग्रामीणों का कहना था कि महेश जोशी की मौत को व्यक्ति विशेष की गलती नहीं, बल्कि पूरे राजस्व तंत्र की नाकामी माना जाना चाहिए।
“हमें सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि विभागीय सुधार चाहिए।”
“भ्रष्टाचार और दबाव से आम आदमी कब तक कुचला जाएगा?”
शोक और आक्रोश की लहर
शोक और आक्रोश की लहर
गांव का हर घर ग़मगीन है। लोग कह रहे थे –
“जो इंसान दूसरों की मदद के लिए हमेशा खड़ा रहा, आज उसके परिवार को ही अकेला छोड़ दिया गया।”
धरना-प्रदर्शन में कनिष्ठ प्रमुख कमल भंडारी, ग्राम प्रधान रुक्मणी नेगी, वरिष्ठ समाजसेवी हेमवती नंदन दुर्गापाल, ग्राम प्रधान इंदर सिंह बिष्ट, ग्राम प्रधान रमेश जोशी, ग्राम प्रधान मुकेश दुमका, क्षेत्र पंचायत सदस्य देवेंद्र तिवारी समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और “सरकार जवाब दो” के नारे लगाए।