“नेपाल में Gen Z की शक्ति: युवाओं ने सरकार को झुका दिया, लोकतंत्र की जीत”
नेपाल में Gen Z के नेतृत्व में हुए प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन अब तक 20 से अधिक लोगों की जान ले चुका है। सरकार ने बैन को हटा लिया है और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
मुख्य खबर:
Gen Z कौन है और उनकी ताकत क्या है?
Gen Z या Generation Z वे लोग हैं जो 1997–2012 के बीच पैदा हुए। यह पहली पीढ़ी है जो डिजिटल युग में बड़ी हुई, यानी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया इनके लिए जीवन का हिस्सा हैं।
इनकी खासियतें:
सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय
समाज और राजनीति के प्रति जागरूक और मुखर
लोकतांत्रिक अधिकारों, पारदर्शिता और समानता के प्रति संवेदनशील
विरोध करने का नया तरीका – हैशटैग कैंपेन, वायरल वीडियो और ऑनलाइन आंदोलन
ये वही युवा हैं जिनमें इतनी शक्ति और समझ है कि उन्होंने सरकार को लोकतंत्र का असली मतलब दिखा दिया।
नेपाल में Gen Z का आंदोलन
हाल ही में नेपाल सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Facebook, Instagram, WhatsApp, YouTube, X आदि) पर बैन लगा दिया। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म पंजीकरण में विफल रहे। आलोचकों का कहना था कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
Gen Z ने इस बैन के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शनकारी यह दिखाना चाहते थे कि लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ सत्ता में बैठे लोगों का नहीं, बल्कि युवाओं और नागरिकों की आवाज़ का सम्मान भी है।
हिंसक प्रदर्शनों के बाद सरकार का झुकना
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में 20 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस हिंसा के बाद सरकार ने बैन हटा लिया और प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया।
सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने और घायलों का मुफ्त इलाज करने की घोषणा की।
युवाओं की शक्ति और लोकतंत्र की जीत
Gen Z ने यह साबित कर दिया कि वे केवल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र के असली अर्थ को सड़कों पर उतरकर दिखाने की शक्ति रखते हैं।
यह घटना नेपाल में युवा शक्ति की जीत और लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के रूप में याद की जाएगी।