बिग ब्रेकिंग :-उत्तराखंड राजनीति में हलचल: त्रिवेंद्र सिंह रावत का सीएम धामी पर आरोप – ताजा अपडेट

PM IST)उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (TSR) और मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बीच तीखी राजनीतिक जंग छिड़ी हुई है। TSR ने धामी सरकार पर अवैध खनन, निष्क्रियता, भ्रष्टाचार और नीतिगत विफलताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह विवाद मार्च 2025 से शुरू हुआ और सितंबर 2025 तक गरमाया हुआ है। विपक्षी कांग्रेस ने इसे बीजेपी की आंतरिक कलह करार दिया है, जबकि बीजेपी इसे व्यक्तिगत मतभेद बता रही है। नीचे ताजा हेडलाइंस के साथ पूरा अपडेट दिया गया है, जो विश्वसनीय स्रोतों और हाल की जानकारी पर आधारित है:
प्रमुख हेडलाइंस और विस्तृत अपडेट:
- “खनन माफियाओं के हाथ में बागडोर” – TSR का संसद में धामी पर हमला (मार्च 2025)
हरिद्वार से बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में धामी सरकार पर अवैध खनन को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “खनन विभाग सीएम के अधीन है, फिर भी माफिया बेलगाम हैं। स्थानीय प्रशासन और माफियाओं की साठगांठ है।” TSR ने दावा किया कि सरकार की निष्क्रियता से उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान हो रहा है। धामी सरकार ने जवाब में खनन नीति से राजस्व में तीन गुना वृद्धि का दावा किया, लेकिन TSR ने इसे “जनता को गुमराह करने वाला आंकड़ा” बताया।
2″निष्क्रिय सरकार, सिर्फ प्रचार” – TSR का ताजा प्रहार (1 सितंबर 2025)
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, TSR ने धामी सरकार को “निष्क्रिय” करार देते हुए कहा कि विकास के नाम पर केवल झूठा प्रचार हो रहा है। उन्होंने अवैध खनन, पेपर लीक, और कब्जा माफियाओं के मुद्दों पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। TSR ने कहा, “जनता सब देख रही है, सरकार केवल दिखावा कर रही है।” इस बयान से बीजेपी में तनाव बढ़ गया, और सोशल मीडिया पर #UttarakhandPolitics ट्रेंड करने लगा।”अस्पताल – की
3″अस्पताल बेचने का खेल TSR की चेतावनी (अगस्त 2025)
से चल रहा है। धामी सरकार सुन नहीं रही, और मोदी जी बोल नहीं रहे।” यह बयान स्वास्थ्य क्षेत्र में निजीकरण के प्रस्तावों से जुड़ा है, जिस पर विपक्ष ने भी हंगामा किया। एक X पोस्ट में यूजर ने लिखा, “TSR का सवाल- क्या उत्तराखंड के अस्पताल बेचे जा रहे हैं?” यह मुद्दा सितंबर तक चर्चा में बना हुआ है।
4:-कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी केस में TSR का तंज (पुराना मामला, सितंबर 2025 में फिर चर्चा)
TSR ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति के पुराने मामले को उठाते हुए धामी सरकार पर निष्पक्ष जांच न करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, “जांच में पराया-अपना नहीं देखना चाहिए। गीता का ज्ञान लें।” यह बयान जोशी और धामी के करीबी नेताओं के लिए अप्रत्यक्ष हमला माना गया। X पर एक यूजर ने लिखा, “TSR धामी को गीता पढ़ा रहे हैं, लेकिन क्या सरकार सुनेगी?”
5:-अन्य बीजेपी नेताओं ने भी खोला मोर्चा (अगस्त-सितंबर 2025)
TSR के अलावा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत और विधायक अरविंद पांडे ने भी अवैध खनन और भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए। पांडे ने कहा, “अगर मेरे आरोप झूठे साबित हुए, तो मैं जनता के सामने मुंह नहीं दिखाऊंगा।” एक X पोस्ट में लिखा गया, “TSR, हरक, और अब पांडे- धामी सरकार पर बीजेपी के अपने ही सवाल उठा रहे हैं।” यह बीजेपी की आंतरिक गुटबाजी को उजागर करता है।
6:-कांग्रेस का तीखा पलटवार:
कांग्रेस ने TSR के बयानों को बीजेपी की विफलता का सबूत बताया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, “TSR खुद पूर्व सीएम हैं। उनके आरोप दिखाते हैं कि धामी सरकार माफियाओं और भ्रष्टाचारियों के हाथों बंधी है।” कांग्रेस ने इसे “डबल इंजन सरकार की डबल विफलता” करार दिया। X पर एक यूजर ने ट्वीट किया, “कांग्रेस को मौका मिल गया, लेकिन क्या वे इसका फायदा उठा पाएंगे?”
7:-बीजेपी का बचाव और जवाब:
धामी सरकार ने TSR के आरोपों पर सीधा जवाब देने से परहेज किया, लेकिन बीजेपी प्रवक्ताओं ने दावा किया कि धामी सरकार ने खनन माफियाओं पर सख्ती की है और राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। एक प्रवक्ता ने कहा, “TSR के आरोप व्यक्तिगत हैं, सरकार जनता के लिए काम कर रही है।” X पर बीजेपी समर्थकों ने TSR को “बिलबिलाने वाला” कहा और धामी की लोकप्रियता का हवाला दिया।
8:-सोशल मीडिया और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा (11 सितंबर 2025 तक):
TSR ने संसद और सोशल मीडिया (विशेष रूप से X) पर अपने बयानों को दोहराया। #PushkarSinghDhami और #Uttarakhand जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक X पोस्ट में लिखा गया, “उत्तराखंड बचाओ, माफियाओं से!” यह विवाद विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है।
ताजा स्थिति (11 सितंबर 2025, 1:22 PM IST):
- वर्तमान स्थिति: TSR और धामी के बीच तनाव जारी है। TSR ने हाल में कोई नया बयान नहीं दिया, लेकिन उनके पुराने बयानों की चर्चा सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में बनी हुई है। धामी सरकार ने TSR के खिलाफ कोई औपचारिक जवाब या जांच की घोषणा नहीं की।
- राजनीतिक प्रभाव: यह विवाद 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की एकता को प्रभावित कर सकता है। TSR की लोकप्रियता (विशेषकर हरिद्वार में) और धामी की युवा छवि के बीच टकराव चर्चा का विषय है।
- सोशल मीडिया ट्रेंड: X पर यूजर्स TSR को “सच्चा सिपाही” और धामी को “प्रचारबाज” कह रहे हैं, जबकि बीजेपी समर्थक धामी का बचाव कर रहे हैं।