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November 18, 2025

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हाईकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने 6 माह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का कोर्ट को दिया आश्वासन

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रिपोटर =मनोज कांडपाल

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स्थानीय निकायों के बोर्ड भंग होने के बाद सरकार द्वारा चुनाव प्रक्रिया आरंभ ना किया जाने पर अलग-अलग जनहित याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई हैं जिनकी सुनवाई में पेश होते हुए सचिव शहरी विकास उत्तराखंड नितिन भदोरिया ने न्यायालय में 6 माह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न कराए जाने का आश्वासन न्यायालय को दिया

नैनीताल

स्थानीय निकायों के बोर्ड भंग होने के बाद चुनाव प्रक्रिया आरंभ ना होने पर कई अलग-अलग जनहित याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर की गई है जिनकी सुनवाई पर सचिव शहरी विकास उत्तराखंड नितिन भदोरिया ने न्यायालय में छह माह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न कराए जाने की बात कही ।
उच्च न्यायालय नैनीताल उत्तराखंड में पेश हुए सचिव शहरी विकास उत्तराखंड नितिन भदोरिया ने माननीय न्यायालय को आश्वासन दिया की 6 माह के भीतर स्थानीय निकाय नगर निकाय चुनाव कर लिए जाएंगे जिस पर न्यायालय ने उनका बयान रिकॉर्ड करते हुए याचिकाओं को लंबित रखते हुए अगली सुनवाई के लिए16 अप्रैल की तिथि नियत की है

आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओ पर आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए नितिन भदौरिया सचिव शहरी विकास उत्तराखण्ड ने न्यायालय को आश्वस्त किया कि 6 महीने के भीतर राज्य में नगर निकाय के चुनाव करा लिए जाएंगे। याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचिव के बयान रिकॉर्ड करने के बाद दोनों याचिकाओं को लंबित रखते हुए मामले की सुनवाई के लिए 16 अप्रैल तय की तिथि नियत की है।

आपको बताते चलें की मोहम्मद अनीस निवासी जसपुर के साथ ही अन्य लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है कि स्थानीय निकायों का कार्यकाल दिसंबर माह के आरंभ में ही खत्म हो गया है किंतु उसके बाद भी सरकार ने अभी तक चुनावी कार्यक्रम घोषित नहीं किया है और प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं जिससे आम जनता को निकाय संबंधी कार्यों में परेशानी आ रही है हालांकि पूर्व में भी एक याचिका चुनावी कार्यक्रम घोषित करने के लिए की जा चुकी है जो कि विचाराधीन है दायर जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार को निकायों में प्रशासक नियुक्त करने का किसी प्रकार से कोई भी संवैधानिक अधिकार नहीं है प्रशासक नियुक्त करने की व्यवस्था तब लागू की जाती है जब किसी निकाय का कार्यकाल समय से पूर्व ही भंग किया जाता है ना कि बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने पर सरकार द्वारा अपना प्रशासक नियुक्त किया जाए इस प्रकार प्रशासक नियुक्त किया जाना संविधान के खिलाफ है।
माननीय उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तिथि नियत की गई है

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