तहसील कार्यालय में बड़ा खुलासा! कानूनगो के घर से मिलीं सैकड़ों सरकारी फाइलें, कमिश्नर दीपक रावत की छापेमारी से हड़कंप

हल्द्वानी (उत्तराखंड): कुमाऊं मंडल के कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी तहसील कार्यालय में अचानक निरीक्षण कर प्रशासनिक अनियमितताओं का पर्दाफाश किया है। निरीक्षण के दौरान कानूनगो अशरफ अली के घर से बड़ी संख्या में सरकारी फाइलें, रजिस्टर और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं। ये दस्तावेज क्षतिग्रस्त हालत में पाए गए, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन्हें जानबूझकर घर पर रखा गया था ताकि काम में देरी हो सके और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले। इस घटना ने पूरे प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा दिया है, और कमिश्नर ने जिलाधिकारी को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।
उप-शीर्षक: औचक छापे में क्या-क्या मिला?
कमिश्नर दीपक रावत, जो अपनी सख्ती और surprise inspections के लिए मशहूर हैं, सोमवार को हल्द्वानी तहसील पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि तहसील में कामकाज में भारी लापरवाही बरती जा रही है। निरीक्षण शुरू होते ही कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। जब कानूनगो अशरफ अली से कुछ फाइलों के बारे में पूछताछ की गई, तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद कमिश्नर की टीम ने अशरफ अली के आवास पर छापा मारा, जहां अलमारियों और कमरों से करीब 200 से ज्यादा सरकारी फाइलें बरामद की गईं। इनमें राजस्व संबंधी दस्तावेज, भूमि विवाद के केस, और अन्य महत्वपूर्ण रजिस्टर शामिल थे। कई फाइलें पुरानी और क्षतिग्रस्त थीं, जिनमें चूहों के कुतरने के निशान भी थे। कमिश्नर ने मौके पर ही अशरफ अली को फटकार लगाई और पूछा, “ये फाइलें घर पर क्यों हैं? क्या आपका घर तहसील का गोदाम है?
“आरोप और संभावित कार्रवाई
आरोप है कि कानूनगो अशरफ अली फाइलों को घर ले जाकर जानबूझकर काम में देरी कर रहे थे, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही थी। कई मामलों में लोगों की शिकायतें थीं कि उनके काम महीनों से लंबित हैं। कमिश्नर ने कहा, “यह सरकारी कामकाज की विश्वसनीयता पर सवाल है। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने जिलाधिकारी वंदना सिंह को निर्देश दिए हैं कि 7 दिनों के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी जाए। यदि आरोप सिद्ध हुए, तो अशरफ अली के खिलाफ निलंबन या विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
प्रशासन में सुधार की मांग
इस घटना के बाद स्थानीय निवासियों और विपक्षी दलों ने प्रशासन में पारदर्शिता की मांग की है। कांग्रेस नेता हेमंत बगड़वाल ने कहा, “यह सिर्फ एक मामला नहीं, पूरे सिस्टम की खामी है। कमिश्नर की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन सरकार को सभी तहसीलों में नियमित ऑडिट कराना चाहिए।” वहीं, भाजपा के स्थानीय विधायक ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
पृष्ठभूमि: दीपक रावत की सख्त छवि
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत आईएएस अधिकारी हैं, जो उत्तराखंड में अपनी अनोखी स्टाइल के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर inspections शेयर करते हैं, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। पहले भी उन्होंने कई जगहों पर भ्रष्टाचार उजागर किया है, जैसे अस्पतालों में दवाओं की कमी या स्कूलों में अनुपस्थिति। यह हल्द्वानी का पहला ऐसा बड़ा मामला है।
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