भारतीय जनता पार्टी प्रदेश संगठन के आदेशों कि धज्जियां उड़ा रहे कालाढूंगी विधायक एंव पूर्व कैबिनेट मंत्री

कालाढूंगी भारतीय जनता पार्टी प्रदेश संगठन के आदेशों कि धज्जियां उड़ा रहे कालाढूंगी विधायक एंव पूर्व कैबिनेट मंत्री”सगंठन के कड़े सदेशों के बाबजूद भी अपने पुत्र को विधायक प्रतिनिधि नियुक्त कर करावा रहे है क्षेत्र में कारोडो़ कि योजनाओं का निरीक्षण।
यहां बीते दिवस कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत आरटीओ रोड़ पर लगभग 3.29 कारोड़ कि लगत से नहर को कवर कर सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जाना है कार्य शुरू करने के लिए तीन दिन के भीतर टेंडर प्रक्रिया शुरु हो जाएगी इसी को लेकर कालाढूंगी विधायक एंव पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के पुत्र यानि कि विधायक प्रतिनिधि विकास भगत कि अगुवाई में सम्बंधित विभागीय अधिकारियों ने क्षेत्र का निरीक्षण किया,

वही विधायक पुत्र विधायक प्रतिनिधि कि अगुवाई में अधिकारियों द्वारा किये गये निरीक्षण को भाजपा सगंठन के पदाधिकारी इसे भाजपा सगंठन के प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन बता रहे हैं हालांकि विधायक कि सत्ता प्रेम और वंशवाद के आगे कोई खुलकर बोलने को तैयार नही है फिर भी यहां निरीक्षण सगंठन और कालाढूंगी विधानसभा में चर्चा का बिषय बना हुआ है अब आगे देखना है कि भारतीय जनता पार्टी संगठन का अनुशासन बढ़ा है यहा फिर भाजपा विधायक का वंशवाद यहां वक्त बतायेगा।
बताते चले कि बीते कुछ महा पूर्व हल्द्वानी में आयोजित भारतीय जनता पार्टी कि प्रदेश कार्य समिति कि बैठक में सगंठन के पदाधिकारियों ने विधायकों को कड़ा सदेश दिया था कि कोई भी विधायक अपने रिश्तेदारों को प्रतिनिधि नही बनायेगा साथ ही पदाधिकारियों ने कहा था कि विधायकों द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्रो में रिश्तेदारों को अपना प्रतिनिधि बना लेते है जिसे जनता और सगंठन में कार्यकर्ताओं कि दूरियां बढ़ जाने के आसार बढ़ जाते है क्योंकि जनता भी सगंठन पदाधिकारियों के बजाय सीधे विधायक प्रतिनिधि से सम्पर्क करने लगती है जिसे सगंठन भी कमजोर होने आसार बढ़ जाते है उन्होंने कहा कि यहां किसी भी मजबूत संगठन के लिए यह परपंरा उचित नहीं है इसके अलावा पदाधिकारियों ने जिलाअध्यक्षों को भी हिदायत दी कि ऐसे विधायकों के नाम सगंठन को उपलब्ध कराये जिसे उनपर संगठत्मक कारवाई हो सकें लेकिन इस और ना तो जिलाअध्यक्ष गंभीर है और ना हि प्रदेश संगठन”जो आने वाले समय में सगठन के लिए बुरे सकेंत है। वही इसे पूर्व राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी ऐसे आदेश मंत्रियों और संसाद को दिये थे जिसपर उनके द्वारा तुरंत ही अपने रिश्तेदार प्रतिनिधियों को हाटा दिया गया।