अत्यधिक खनन रॉयल्टी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका….. राज्य सरकार को भेजा नोटिस…… कल (16 नवंबर) को होगी सुनवाई….. सरकार को रखना होगा अपना पक्ष…..

एक प्रदेश एक रॉयल्टी को लेकर खनन व्यवसायियों ने जहां आंदोलन एवं खनन प्रक्रिया शुरू नहीं कर उत्तराखंड सरकार पर दबाव बनाया है, वही कुछ व्यवसाई अपना रोजगार समाप्त होता देख न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं। मोटाहल्दू निवासी खनन व्यवसाई ने उच्च न्यायालय की शरण लेते हुए जनहित याचिका डाली है, जिसमें बुधवार कल (16 नवंबर) की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई है। इस तिथि में उत्तराखंड सरकार ने उक्त खनन नीति को लेकर न्यायालय को अवगत कराना है, साथ ही कल दोपहर बाद उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक भी होनी है माना जा रहा है कि उक्त खनन को लेकर बैठक में महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है।
उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय में याचिका सिविल-विविध 2022 (भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत)
हरीश चौबे व अन्य
[याचिकाकर्ता
बनाम
उत्तराखंड राज्य और अन्य
[उत्तरदाताओं]
ध्यान दें कि न्यायालय नवंबर 2022 के 16 वें दिन पूर्वाह्न 10-30 बजे, या जैसे ही ऊपर नामित याचिकाकर्ता के वकील द्वारा वकील को सुना जा सकता है, स्थानांतरित किया जाएगा।
गति की सटीक वस्तु: –
खनन की रायल्टी की दरों को एक समान रूप से लागू करने से जहां अवैध खनन के मामले कम होंगे वहीं निर्माण सामग्री सस्ती होने से लोगों को मकान बनाने आदि में राहत मिलेगी.
प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार वन विभाग द्वारा आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज (खनन) वन विकास निगम को सौंप दिया गया है और इसके अलावा खनन का कार्य भी उनकी देखरेख में किया जाता है. राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग के वहीं, सरकार-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर खनन भी किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में तीनों प्रकार के खनन में रॉयल्टी की दरें अलग-अलग हैं। वन विकास निगम द्वारा आरक्षित वन क्षेत्रों की विभिन्न नदियों में आरबीएम की दर 20 से 25 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।