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November 18, 2025

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उत्तराखंड की बेटी अंकिता ने जीता दिल और सोना, एथलीटों को पहले परखा फिर पछाड़ा

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राष्ट्रीय खेलों में सोमवार का दिन उत्तराखंड की बेटी अंकिता के नाम रहा। 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर उसने एथलेटिक्स में राज्य को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। जो एथलेटिक्स ट्रेक में ऐसा दौड़ी की छा गई।

पिछले दिनों 10 हजार मीटर रेस में रजत पदक दिलाने के बाद उन्होंने एथलेटिक्स में यह दूसरा पदक जीता।

मूल रूप से पौड़ी जिले के जयहरीखाल के मेरुड गांव की रहने वाली अंकिता शुरूआत में करीब 200 मीटर तक चौथे स्थान पर दौड़ी, इसके बाद उन्होंने स्पर्धा में अन्य प्रदेशों की एथलीटों से अच्छी खासी बढ़त बना ली थी, जो अंतिम समय तक रखे रही और सभी को पछाड़ दिया। अंकिता के मुताबिक रेस की शुरूआत में चौथे स्थान पर रहना उसकी रणनीति का हिस्सा था। देश के अन्य राज्यों के एथलीटों को परखने के लिए उसने स्लो स्टेप लिए और फिर रेस तेज कर दी।

अंकिता बताती है कि उन्होंने कक्षा पांचवीं से यह तय कर लिया था कि उसे इसी क्षेत्र में करियर बनाना है। चार भाई बहनों में दूसरे नंबर की अंकिता बताती है कि उसका अगला लक्ष्य एशियन और विश्व चैंपियनशिप में प्रतिभाग करना है। वह बताती हैं कि उसके पिता किसान हैं। माता-पिता और पूरे परिवार का उसे हमेशा सहयोग मिला। उसे इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।

अंकिता ध्यानी को 2022 में रेलवे में खेल कोटे से नौकरी मिली। जो इस समय मुंबई में कार्यरत है। बैंगलुरु में उसने प्रशिक्षण लिया। वह बताती हैं कि उत्तराखंड में खेल कोटे से नौकरी के लिए उसने आवेदन नहीं किया। इस बारे में वह विचार करेंगी।

नौ मिनट 53.63 सेकंड में पूरी की रेस
उत्तराखंड की बेटी अंकिता ध्यानी ने नौ मिनट 53.63 सेकेंड में तीन हजार मीटर की रेस पूरी कर स्वर्ण पदक जीता। जबकि मध्य प्रदेश की मंजू यादव ने 10 मिनट 15.7 सेकेंड के समय के साथ रजत और यूपी की रबी पाल ने कांस्य पदक जीता।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने विजेताओं को पहनाए मेडल
खेल मंत्री रेखा आर्या ने 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता अंकिता ध्यानी और जूड़ों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सिद्धार्थ रावत को मेडल पहनाए। मंत्री ने इन स्पर्धाओं में विजेता रहे अन्य खिलाडियों को भी सम्मानित किया। उन्होंने कहा, अंकिता से प्रदेश के लोगों को पहले ही गोल्ड की उम्मीद थी। मंत्री ने कहा, खिलाडियों ने इन खेलों में यह साबित कर दिया है कि अगर उन्हें सही सुविधाएं और प्रोत्साहन मिले तो वे कमाल कर सकते हैं। कहा, पदक तालिका में छठे या सातवें स्थान पर बने रहना हमारे लिए गौरव की बात है।

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