Categories

November 18, 2025

HM 24×7 News

सब से तेज सब से आगे

नेता प्रतिपक्ष ने दी राज्य स्थापना पर बधाई: उत्तराखंडियत को बचाने के लिए पहाड़ की जनता का दुख-दर्द समझना जरूरी: यशपाल आर्य

Spread the love

देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही राज्य आंदोलनकारियों के सपना पूरा न होने पर दुख जताया है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि जिस उत्तराखंड का सपना राज्य आंदोलनकारियों ने देखा था. वह आज तक पूरा नहीं हो पाया है. उत्तराखंड राज्य गठन के पीछे दो सदियों का संघर्ष है. कई राज्य आंदोलकारियों की शहादत है, जिसके बदौलत आज उत्तराखंड अपने अस्तित्व में आया है, लेकिन अभी भी उनके सपनों का उत्तराखंड अधूरा है. राज्य की मूल अवधारणा के प्रश्न हमारे सामने आज भी वैसे ही खड़े है ।

कहा कि उत्तराखंड में लगातार घट रही उत्पादकता और बढ़ रहे खर्च के बदौलत आज प्रदेश लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है, जिसका सरकार अभी तक स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाई है. आज यह स्थिति है कि हर महीने सरकार को 200 से 300 करोड़ रुपये तक का ऋण बाजार से उठाना पड़ता है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक आज भी बनी है. आज भी उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ी-लिखी ग्रेजुएट बेटियां घास काटते और गांव में घर का काम करते नजर आती हैं. इसका मूल कारण महिलाओं के रोजगार को लेकर सरकार ने कोई बड़े कदम नहीं उठाए।कहा कि पहाड़ी इलाकों से पलायन राज्य का एक बड़ा नासूर बन चुका है. सरकार पलायन पर नकेल लगाने में नाकाम साबित हुई है,पलायन को लेकर राज्य में हालात इतने बदतर होते जा रहे हैं कि कई गांव अब घोस्ट विलेज बन चुके हैं। भाजपा सरकार की ग़ैरसैन, ग्रीष्मकालीन राजधानी केवल घोषणा और नाम तक ही सीमित रह गई है। पर्वतीय जिले मूलभूत सुविाधाओं के लिए तरस रहे हैं। बीते दो दशक में 1200 से अधिक गांव वीरान हो चुके हैं। 4000 स्कूल बंद हो चुके हैं। सरकार अब पर्वतीय क्षेत्रों में पॉलीटेक्निक व आइटीआइ भी बंद करने जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना कई लोग दम तोड़ रहे हैं। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए पृथक राज्य की मांग की गई थी। पर स्थिति यह है कि राज्य का युवा रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरा हुआ है। प्रदेश में रोजगार की पूरी व्यवस्था ठेकेदारों के आधीन है। कर्मचारियों का उत्पीडऩ हो रहा है। महिलाओं पर अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। राज्य के संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो चुका है।स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं, बिजली प्रदेश को आज भी दूसरे प्रदेशो से बिजली लेनी पड़ रही है। जंगलो क़े हालत यह हैं कि हर साल आग लगना आम बात हो गई हैं, जिससे जल संकट बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।

उत्तराखंड की इस साल की सबसे बड़ी घटना उत्तराखंड परीक्षा घोटाला। यह एक ऐसी घटना है ,जिसने उत्तराखंड के विकास को खुली किताब की तरह सबके सामने रख दिया।  हमारे सपनो के राज्य में माफिया दीमक की तरह कितने अंदर तक घुस चूका है ,इस घटना से स्पष्ट रूप से पता चल रहा है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि
उत्तराखंडियत को बचाए रखने के लिए पहाड़ की जनता के दुख दर्द को समझना अति आवश्यक है। प्रदेश में एक सख्त भू कानून लागू करने की आवश्यकता है और यह भू-कानून पूरे प्रदेश की 100% भूमि के लिए लागू होना चाहिए। पर्वतीय जिलों में सबसे बड़ी समस्या गुणवत्ता वाले स्कूलों की है और रोजगार सृजन के अवसरों के लिए राज्य स्तरीय कौशल निर्माण विश्विद्यालय की स्थापना की मांग अरसे हो रही है. राज्य सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मूलतः गांव ही विकास और लोगों की बसाहट की मूल इकाई हैं. गांवों की खुशहाली मजबूत करनी होगी जिससे पलायन रुके और स्थानीय लोगों को छोटे मोटे रोजगार की तलाश में गांव से पलायन न करना पड़े।

About The Author

You may have missed